साइबर अपराध से बचने के लिए क्या करें और क्या न करें
साइबर क्राइम से सुरक्षा के लिए सतर्कता आवश्यक है। नीचे एक उपयोगी Dos and Don’ts टेबल दिया गया है, जिससे आप इन धोखाधड़ियों से बच सकते हैं:
क्या करें (Do’s) | क्या न करें (Don’ts) |
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1. व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से पहले सत्यापित करें: किसी भी संस्था से कॉल या मैसेज आने पर उनकी वैधता की जांच करें। | 1. अनजान लिंक पर क्लिक न करें: किसी भी संदिग्ध लिंक या ईमेल लिंक पर क्लिक करने से बचें। |
2. मजबूत पासवर्ड बनाएं और नियमित रूप से बदलें: पासवर्ड को जटिल बनाएं और उसे किसी के साथ साझा न करें। | 2. अपनी निजी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर न करें: अपने मोबाइल नंबर, पता, और ईमेल आईडी जैसे डेटा सोशल मीडिया पर सार्वजनिक न करें। |
3. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए दो-स्तरीय सत्यापन (2FA) का उपयोग करें: यूपीआई और अन्य वित्तीय खातों के लिए ओटीपी या अन्य सत्यापन सुविधाओं का उपयोग करें। | 3. किसी को अपना ओटीपी न दें: किसी के कहने पर भी ओटीपी साझा न करें। यह आपकी वित्तीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। |
4. सुरक्षित वेबसाइट्स का उपयोग करें: खरीदारी या बैंकिंग जैसी गतिविधियों के लिए केवल “https://” वाली वेबसाइट्स का उपयोग करें। | 4. अज्ञात एप्लिकेशन इंस्टॉल न करें: अनजान या संदिग्ध ऐप्स को अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर इंस्टॉल न करें। |
5. किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट करें: अगर आप किसी धोखाधड़ी का शिकार होते हैं, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें। | 5. वर्चुअल कोर्ट कॉल पर विश्वास न करें: किसी को भी “डिजिटल गिरफ्तारी” के नाम पर पैसे न दें। भारतीय कानून में ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है। |
6. एंटी-वायरस और फायरवॉल का उपयोग करें: अपने सभी डिवाइस में एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करें और इसे अपडेट रखें। | 6. किसी फर्जी ईनाम या लॉटरी के मैसेज पर विश्वास न करें: किसी भी ईनाम या लॉटरी के मैसेज पर ध्यान न दें जो आपकी निजी जानकारी मांगता है। |
7. संदिग्ध कॉल्स को नज़रअंदाज़ करें: अनजान नंबरों से आने वाले संदिग्ध कॉल्स को न उठाएं और न ही कोई जानकारी दें। | 7. बैंक प्रतिनिधि बनकर आए कॉल्स पर भरोसा न करें: बैंक से संबंधित कॉल्स पर किसी भी जानकारी को साझा करने से पहले जांच करें। |
2024 में बढ़ता साइबर क्राइम: सावधान रहें, सुरक्षित रहें
साइबर अपराध एक गंभीर चुनौती बन चुका है और 2024 के पहले चार महीनों में भारत में 7,40,000 साइबर क्राइम कंप्लेंट्स दर्ज हुई हैं। जनवरी से अप्रैल के बीच, लगभग 800 करोड़ रुपये निवेश धोखाधड़ी, सेक्सटॉर्शन, डिजिटल गिरफ्तारी, और अन्य साइबर अपराधों से लूटे गए हैं। ये आंकड़े केवल नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल से आए हैं, जो भारत के गृह मंत्रालय द्वारा संचालित है। वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है, और यह बात हम सभी के लिए चेतावनी है।
मई 2024 में हर दिन औसतन 7,000 साइबर क्राइम शिकायतें दर्ज की गई हैं, जो पिछले कुछ वर्षों में 113% की बढ़ोतरी दर्शाती है। अधिकांश मामलों में मुख्य उद्देश्य वित्तीय धोखाधड़ी है। हमारे देश में वित्तीय धोखाधड़ी पिछले पांच वर्षों में 1000% बढ़ी है। इस पोस्ट में हम कुछ प्रमुख केस स्टडीज के माध्यम से यह जानने की कोशिश करेंगे कि किस तरह साइबर अपराधी निर्दोष लोगों को निशाना बना रहे हैं और कैसे हम अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा सकते हैं।
प्रमुख साइबर धोखाधड़ी और उनके मामले
1. डिजिटल गिरफ्तारी का मामला

डिजिटल गिरफ्तारी एक नई तरह की साइबर धोखाधड़ी है जिसमें अपराधी वीडियो कॉल के जरिए किसी सरकारी अधिकारी का रूप धारण कर पीड़ित को डराते हैं। उन्हें “डिजिटल गिरफ्तारी” का झांसा देकर उनसे बड़ी रकम वसूल करते हैं।
केस स्टडी: एस. पी. ओसवाल, वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, 82 साल की उम्र में इस धोखाधड़ी का शिकार बने। एक गिरोह ने उनके खिलाफ एक फर्जी केस दर्ज किया और उन्हें एक फर्जी वर्चुअल कोर्टरूम में पेश किया, जिसमें फेक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी. वाई. चंद्रचूड़ थे। उनके खिलाफ फेक दस्तावेज बनाए गए थे, जिनमें सुप्रीम कोर्ट का एंबलम, बारकोड, और डिजिटल सिग्नेचर शामिल थे। ओसवाल जी ने डर के मारे अलग-अलग खातों में करोड़ों रुपये जमा कर दिए।
इसी तरह, इंदौर के एक वैज्ञानिक और नोएडा के एक रिटायर्ड मेजर जनरल भी इस धोखाधड़ी के शिकार हुए, जिनसे लाखों रुपये लूटे गए।
2. यूपीआई धोखाधड़ी
डिजिटल भुगतान और यूपीआई के बढ़ते उपयोग के साथ, यूपीआई धोखाधड़ी भी आम होती जा रही है। 2022 और 2023 में, 1 लाख से अधिक यूपीआई-आधारित धोखाधड़ी के मामले सामने आए। क्यूआर कोड स्कैन करने और भुगतान करने में जरा सी असावधानी बड़ी हानि का कारण बन सकती है।
सुझाव: क्यूआर कोड स्कैन करते समय सतर्क रहें। सुनिश्चित करें कि कोड स्कैन करने से पहले उसकी वैधता की जांच कर लें और कभी भी अनजान स्रोतों से क्यूआर कोड न स्कैन करें।
3. सेक्सटॉर्शन (Sextortion)

टेलीकॉम रेवोल्यूशन और सस्ते मोबाइल डाटा दरों ने लोगों को कनेक्टेड रखा है, लेकिन यह स्कैमर्स के लिए भी एक अवसर बन गया है। अक्सर अपराधी वीडियो कॉल करते हैं, और जब पीड़ित उसे उठाते हैं, तो दूसरी ओर एक महिला अश्लील हरकतें कर रही होती है। बाद में, पीड़ित को ब्लैकमेल कर पैसे की मांग की जाती है।
केस स्टडी: एक प्रसिद्ध डॉक्टर को इस तरह के सेक्सटॉर्शन स्कैम का शिकार बनाया गया। एक फर्जी कॉल से उन्हें ब्लैकमेल किया गया और उनकी इमेज का उपयोग कर उनसे लाखों रुपये वसूले गए। इस प्रकार के मामले में डर और शर्मिंदगी के कारण कई लोग शिकायत दर्ज नहीं कराते, जिससे अपराधियों को और बढ़ावा मिलता है।
4. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित धोखाधड़ी
एआई की दुनिया में क्रिमिनल्स ने भी तकनीक का सहारा लिया है। अब वे एआई की मदद से आपके प्रियजनों की आवाज़ की नकल कर कॉल करते हैं और किसी मुसीबत का बहाना बनाकर आपसे पैसे ऐंठते हैं।

केस स्टडी: एक व्यक्ति को कॉल पर उनके बेटे की आवाज सुनाई गई, जिसमें वह एक्सीडेंट की बात कर पैसे मांग रहा था। भावनात्मक दबाव में आकर पीड़ित ने पैसे ट्रांसफर कर दिए, लेकिन बाद में पता चला कि यह आवाज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बनाई गई थी।
5. लिंक-आधारित धोखाधड़ी
कभी-कभी साइबर अपराधी लोगों की लालच का फायदा उठाते हैं। मुफ्त प्राइज या इनाम का झांसा देकर एक लिंक भेजते हैं, जिसे क्लिक करते ही वे आपकी निजी जानकारी चुरा लेते हैं।
सुझाव: अनजान लिंक पर कभी क्लिक न करें। हमेशा लिंक की वैधता की जांच करें और केवल विश्वसनीय वेबसाइट्स पर ही अपनी निजी जानकारी शेयर करें।
6. ओटीपी स्कैम

दूसरे फैक्टर ऑथेंटिकेशन के कारण अब ओटीपी के बिना कुछ भी प्रोसेस नहीं होता है। इसलिए अपराधी ओटीपी स्कैम का सहारा लेते हैं। वे बैंक प्रतिनिधि, ई-कॉमर्स साइट प्रतिनिधि या सरकारी अधिकारी बनकर आपके ओटीपी की जानकारी मांगते हैं।
सुझाव: ओटीपी को गोपनीय रखें और इसे किसी के साथ साझा न करें। सरकारी अधिकारियों को कभी भी ओटीपी मांगने का अधिकार नहीं होता।
साइबर क्राइम से बचने के उपाय
इन सभी साइबर अपराधों से बचने के लिए, नागरिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं जो आपको इन धोखाधड़ियों से सुरक्षित रखने में मदद करेंगे:
- साइबर क्राइम हेल्पलाइन का उपयोग करें: अगर आपको लगता है कि आप किसी धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें और संबंधित पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराएं।
- सोशल मीडिया पर अपनी जानकारी कम शेयर करें: आपकी निजी जानकारी अपराधियों के लिए एक बड़ा साधन हो सकती है। जितना हो सके, अपनी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर करने से बचें।
- दोस्तों और परिवार के बीच जागरूकता फैलाएं: साइबर क्राइम के बढ़ते खतरे को देखते हुए, अपने दोस्तों और परिवार को इसके प्रति जागरूक करें। उन्हें समझाएं कि किसी अनजान कॉल या लिंक पर तुरंत विश्वास न करें।
- सुरक्षित इंटरनेट प्रथाओं का पालन करें: किसी भी अनजान स्रोत से ऐप न डाउनलोड करें, अनजान क्यूआर कोड को न स्कैन करें, और हमेशा वेबसाइट्स की वैधता की जांच करें।
- कानूनी प्रक्रिया का ध्यान रखें: “डिजिटल गिरफ्तारी” जैसी कोई चीज भारतीय कानूनी प्रणाली में नहीं है। अगर कोई व्यक्ति आपको इस तरह का डर दिखाकर ब्लैकमेल करता है, तो तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम विभाग में रिपोर्ट करें।
- एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें: अपने सभी डिवाइस में एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें और इसे नियमित रूप से अपडेट करें।
निष्कर्ष
आज की डिजिटल दुनिया में जहां तकनीक ने हमारी जिंदगी को आसान बना दिया है, वहीं इसके साथ कुछ जोखिम भी बढ़े हैं। साइबर अपराधी हमारे बैंक बैलेंस, हमारी पहचान, और यहां तक कि हमारे जीवन को भी खतरे में डाल सकते हैं। इसलिए, सावधान रहें, सतर्क रहें, और अपनी सुरक्षा खुद करें। अगर हम सभी मिलकर साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक होंगे, तो हम इस खतरे का सामना कर सकते हैं।
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