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करनाल, हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की खेती – सफल किसान की कहानी

ड्रैगन फ्रूट की खेती

हरियाणा के करनाल जिले में, राणा ड्रैगन फ्रूट फॉर्म ने एक अनूठी मिसाल पेश की है, जो दिखाता है कि कैसे पारंपरिक खेती से हटकर नई तरह की फसलें किसानों की आय को बदल सकती हैं। यहां पर सात बीघा जमीन में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है, जिससे सालाना लगभग 15 लाख रुपये की कमाई हो रही है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे ड्रैगन फ्रूट की खेती करना संभव है, इसकी देखभाल और उत्पादन से जुड़े पहलुओं के बारे में और क्या इस खेती के पीछे की कहानी है।

किसान का परिचय और खेती में सफर

इस फॉर्म के मालिक ने खेती में आने से पहले कई सालों तक एक प्रतिष्ठित नौकरी की। वे दक्षिण अफ्रीका के कैप्टन में रहते थे और वहां एक आईआईटी में सीनियर इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने बताया कि वहाँ के जलवायु हरियाणा से मिलती-जुलती है, जिससे उन्हें विचार आया कि क्यों न वे भारत में भी ड्रैगन फ्रूट की खेती करें। इस बीच, कोविड महामारी के कारण नौकरी के अस्थिरता से प्रभावित होकर उन्होंने खेती को एक स्थिर करियर के रूप में अपनाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर अपने माता-पिता के साथ अपने खेत में ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत की।

ड्रैगन फ्रूट की खेती का प्रारंभिक निवेश और खेती की प्रक्रिया

इस फार्म में ड्रैगन फ्रूट की खेती 2019 में शुरू की गई थी, जिसमें आधे एकड़ में लगभग 200 पोल और 800 पौधे लगाए गए थे। पहले साल का कुल खर्चा लगभग 2.15 लाख रुपये था, जिसमें मुख्य रूप से पोल और पौधों की लागत शामिल थी। हर पोल पर चार पौधे लगाए जाते हैं, और इसके लिए पौधों को खरीदने में 60 से 70 रुपये प्रति पौधा खर्च होता है। इसके अलावा, पौधों की देखभाल और नर्सरी की ट्रांसप्लांट प्रक्रिया का भी ध्यान रखा गया।

ड्रैगन फ्रूट के पौधों को लगाने का सबसे अच्छा समय फरवरी और मार्च का महीना होता है। इस दौरान पौधों में ग्रोथ अच्छी होती है, और वे मौसम के अनुसार जल्दी फ्रूटिंग देना शुरू कर देते हैं। इस फसल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार लगाने के बाद यह लगातार 7-8 वर्षों तक उत्पादन देती है। पहले साल में कम उत्पादन होता है, लेकिन तीसरे और चौथे साल में इसकी पैदावार में तेजी से वृद्धि होती है।

पहला साल और शुरुआती चुनौतियाँ

ड्रैगन फ्रूट की खेती में शुरुआती चुनौतियाँ रही, क्योंकि इस फसल के बारे में किसानों के पास बहुत कम जानकारी थी। यहां तक कि सरकारी कृषि और बागवानी विभाग भी इस फसल के बारे में पूरी तरह अवगत नहीं थे। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद, पहले साल में लगभग 2.75 लाख रुपये का मुनाफा कमाया गया। इस फसल की अनूठी विशेषता है कि इसे रोग और बीमारियों से बचाने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करने पड़ते।

उत्पादन और बाजार की मांग

ड्रैगन फ्रूट का बाजार में अच्छा मूल्य है, खासकर इसके स्वास्थ्य लाभों की वजह से। शुरू में किसानों ने अपनी उपज को दिल्ली की आजादपुर मंडी में बेचने की कोशिश की, लेकिन वहां उन्हें अपेक्षाकृत कम मूल्य मिला। इसके बाद उन्होंने स्थानीय मार्केटिंग पर जोर दिया, जैसे कि नर्सिंग होम और अस्पतालों को सैंपल भेजना। कई डॉक्टरों ने भी इस फल के पोषक तत्वों की सराहना की और अपने मरीजों को इसे खाने की सलाह दी।

वर्तमान में ड्रैगन फ्रूट की कीमत बाजार में 250-350 रुपये प्रति किलो है, जबकि थोक बाजार में 150-200 रुपये प्रति किलो मिलती है। राणा फॉर्म अब अपने ग्राहकों को सीधे बेचता है और मंडी में बेचने से परहेज करता है। इससे किसान को थोक बिक्री से अधिक लाभ मिलता है।

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लाभ

  1. लंबी शेल्फ लाइफ: ड्रैगन फ्रूट की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे तोड़ने के बाद दो सप्ताह तक रखा जा सकता है। इससे किसान इसे बिना जल्दी खराब होने की चिंता किए उचित मूल्य पर बेच सकते हैं।
  2. कम पानी की जरूरत: ड्रैगन फ्रूट एक कैक्टस प्लांट है, इसलिए इसे बहुत कम पानी की जरूरत होती है। यह खेती कम पानी वाले इलाकों के लिए बहुत फायदेमंद है, खासकर उन किसानों के लिए जो पानी की कमी से परेशान रहते हैं।
  3. उच्च मांग: इसके पोषक तत्वों की वजह से, खासकर डेंगू जैसे रोगों के समय इस फल की मांग बढ़ जाती है। इसमें प्लेटलेट्स बढ़ाने के गुण होते हैं, जो कि इसको मेडिकल क्षेत्र में भी खास बनाता है।

इंटरक्रॉपिंग के फायदे

ड्रैगन फ्रूट के पौधों के बीच में 11 फीट का स्पेस होता है, जिससे किसान इस बीच की जगह में अन्य सब्जियां भी उगा सकते हैं। इस तरह वे अतिरिक्त आय भी कमा सकते हैं। इस फार्म में ड्रैगन फ्रूट के बीच मक्का, सहजन, और भिंडी जैसी फसलें भी उगाई जा रही हैं, जिससे उनकी आमदनी और भी अधिक बढ़ गई है।

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए आवश्यक देखभाल

ड्रैगन फ्रूट की खेती में मुख्य रूप से पोल्स पर खर्च होता है, जो पौधों को सहारा देने के लिए लगाए जाते हैं। इस पौधे में नियमित प्रूनिंग करना जरूरी है ताकि पौधे अच्छी तरह से बढ़ सकें और फलों की गुणवत्ता बढ़े।

इसके अलावा, इस फसल को बहुत अधिक पानी नहीं चाहिए होता है। यदि इसकी जड़ें बहुत अधिक गीली रहें तो यह फंगस की चपेट में आ सकती है, इसलिए इसे सूखे मौसम में ही पानी देना बेहतर होता है।

खेती से मुनाफा और भविष्य की संभावनाएँ

राणा ड्रैगन फ्रूट फॉर्म में तीसरे साल तक लगभग 10 टन ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन हो चुका है। इस फॉर्म ने सालाना लगभग 12-15 लाख रुपये की आमदनी का लक्ष्य रखा है, जो सामान्य फसलों की तुलना में काफी अधिक है। किसान अब दूसरे किसानों को भी इस फसल के बारे में सलाह दे रहे हैं और उन्हें इसकी मार्केटिंग के तरीके भी समझा रहे हैं ताकि वे भी इस फसल से लाभ कमा सकें।

ड्रैगन फ्रूट की खेती क्यों करें?

ड्रैगन फ्रूट की खेती उन किसानों के लिए बेहतर विकल्प है जो अपनी आमदनी को बढ़ाना चाहते हैं और कम पानी में उच्च उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है और इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। यदि किसान खुद की मार्केटिंग करते हैं, तो वे इस फसल से अच्छा लाभ कमा सकते हैं। इसके अलावा, ड्रैगन फ्रूट का बाजार मूल्य अधिक होने के कारण यह किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रहा है।


लागत लाभ विश्लेषण तालिका (Cost-Benefit Analysis Table)

विवरण (Description)खर्चा (रुपये) (Cost)अनुमानित आमदनी (रुपये) (Estimated Revenue)
प्रारंभिक निवेश (पहले वर्ष में):
पौधों की खरीद (800 पौधे, 60-70 रुपये प्रति पौधा)48,000
पोल और अन्य संरचना लागत1,00,000
उर्वरक, कीटनाशक और अन्य देखभाल खर्च20,000
सिंचाई (टपकन सिंचाई प्रणाली का खर्च)30,000
कुल प्रारंभिक निवेश2,15,000
दूसरे वर्ष और बाद के वर्षों में:
देखभाल, उर्वरक, और अन्य खर्च40,000
कुल सालाना खर्च40,000
उत्पादन और मुनाफा (तीसरे वर्ष से):
अनुमानित उत्पादन (10 टन)15,00,000 (लगभग 150 रुपये प्रति किलो)
सालाना लाभ (तीसरे वर्ष से):12,00,000-15,00,000

तालिका का विश्लेषण:

  • पहले वर्ष में कुल खर्चा 2,15,000 रुपये था, जिसमें पोल्स, पौधों की खरीद और देखभाल के खर्च शामिल हैं।
  • दूसरे वर्ष से लेकर बाद के वर्षों तक सालाना खर्च करीब 40,000 रुपये आता है।
  • तीसरे वर्ष से 10 टन का उत्पादन होने पर, 15 लाख रुपये की आमदनी होती है, जो सालाना लगभग 12-15 लाख रुपये का लाभ देती है।

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