दोस्तों, आज हम आए हैं मध्य प्रदेश के इंदौर में एक प्रगतिशील किसान के खेत पर, जो अपनी 5 एकड़ जमीन पर हल्दी की खेती कर रहे हैं। ये किसान, जितेंद्र पाटीदार, हल्दी को सीधा मंडी में बेचने की बजाय इसका प्रोसेसिंग कर पाउडर, अचार और अन्य उत्पाद बनाते हैं, जिससे उनकी आय कई गुना बढ़ जाती है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे ये बिजनेस मॉडल आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
हल्दी की खेती और बिजनेस मॉडल
जितेंद्र पाटीदार ग्राम सिमरोल, जिला इंदौर के निवासी हैं। वे 17 एकड़ जमीन के मालिक हैं, जिसमें से 5 एकड़ में हल्दी की खेती करते हैं। बाकी जमीन पर गेहूं और दालों की खेती करते हैं। जितेंद्र जी के अनुसार, ऑर्गेनिक विधि से हल्दी उगाने पर उत्पादन में 10-20% की कमी आ सकती है, लेकिन बाजार में इसे डेढ़ गुना अधिक मूल्य मिलता है।
हल्दी की वैरायटी और बीज
जितेंद्र जी ने छह अलग-अलग प्रकार की हल्दी लगाई है, जैसे राजापुरी, वायगांव, प्रगति, चिन्ना सेलम और काली हल्दी। इनके मुताबिक, वायगांव वैरायटी उत्पादन और करक्यूमिन की गुणवत्ता में सबसे बढ़िया है।
हल्दी की प्रोसेसिंग और सीधा बिक्री
जितेंद्र जी हल्दी की प्रोसेसिंग कर पाउडर, अचार और अन्य उत्पाद बनाते हैं। इसके बाद वे इन उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं को बेचते हैं। उनका कहना है कि हर घर में हल्दी का उपयोग होता है, जिससे उपभोक्ताओं के साथ एक दीर्घकालिक संबंध बन जाता है। इस तरह से उन्हें गेहूं, दाल, और चावल के भी ऑर्डर मिलने लगे हैं।
हल्दी की खेती का खर्च और मुनाफा
हल्दी की खेती का प्रति एकड़ खर्च 75,000 से 80,000 रुपये तक आता है, चाहे वह ऑर्गेनिक हो या केमिकल खेती। नीचे दिए गए तालिका में केमिकल और ऑर्गेनिक खेती में लगने वाले खर्च की तुलना दी गई है:
खर्च (Expense) | केमिकल (Chemical) | ऑर्गेनिक (Organic) |
---|---|---|
ज़मीन की तैयारी (Land Preparation) | 3,000 | 3,000 |
बीज (Seeds) | 21,000 | 21,000 |
गोबर (Gobbar) | 6,000 | 6,000 |
खाद (Fertilizer) | 5,000 | 1,200 |
कीटनाशक (Pesticide) | 5,000 | 1,200 |
मज़दूरी (Labour) | 8,000 | 12,000 |
बिजली (Electricity) | 3,500 | 3,500 |
सर्टिफिकेशन (Certification) | 3,000 | 3,000 |
पैकेजिंग (Packaging) | 15,000 | 15,000 |
परिवहन (Transport) | 5,000 | 5,000 |
आदि (Etc.) | 5,000 | 5,000 |
कुल (Total) | ₹79,500 | ₹75,900 |
जितेंद्र जी का कहना है कि ऑर्गेनिक खेती से हल्दी की गुणवत्ता बेहतर होती है, जिससे उन्हें बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं।
अपने ब्रांड के साथ बाजार में हल्दी के उत्पाद
जितेंद्र जी ने अपने उत्पादों को “शगुन नेचुरल” नाम से ब्रांड किया है। इसके तहत वे हल्दी, गेहूं, दाल और अन्य उत्पाद बेचते हैं। उनका कहना है कि प्रोसेसिंग कर हल्दी का पाउडर बनाने से उनकी कमाई में बड़ा इज़ाफा हुआ है।
कैसे करें हल्दी की ऑर्गेनिक खेती?
- जमीन की तैयारी: कल्टीवेटर से जुताई करें और गोबर की खाद डालें।
- बीज की बुवाई: मई के अंत में बुवाई करें। एक एकड़ में लगभग 9 से 10 क्विंटल बीज लगता है।
- ढे चा का उपयोग: ढे चा (कवर क्रॉप) लगाने से नाइट्रोजन की पूर्ति होती है।
- प्राकृतिक खाद और कीटनाशक: गोबर, गौमूत्र और अन्य प्राकृतिक चीजों से खाद और कीटनाशक बनाएं।
ऑर्गेनिक खेती से होने वाले लाभ
ऑर्गेनिक खेती से मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन का स्तर बढ़ता है, जो फसलों की उपज और गुणवत्ता दोनों में सुधार करता है। जितेंद्र जी के खेतों में ऑर्गेनिक कार्बन का स्तर 3 सालों में 0.45% से बढ़कर 1% तक पहुंच गया है, जिससे फसल की पैदावार बेहतर हो गई है।
कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण
जितेंद्र पाटीदार जैसे प्रगतिशील किसान अन्य किसानों को भी ऑर्गेनिक खेती, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के बारे में सिखा रहे हैं। वे अपने “ऑर्गेनिक एकड़ इंस्टिट्यूट” में वर्मी कंपोस्टिंग, वेजिटेबल प्रोडक्शन, मधुमक्खी पालन और अन्य एग्रो बिजनेस कोर्सेस भी चला रहे हैं। जो लोग इनके फार्म पर नहीं आ सकते, वे ऑनलाइन कोर्सेस भी कर सकते हैं और कोर्स पूरा करने के बाद सर्टिफिकेट भी प्राप्त कर सकते हैं।
हल्दी की ऑर्गेनिक खेती और प्रोसेसिंग से आप भी अपनी आय बढ़ा सकते हैं। सीधे उपभोक्ताओं को हल्दी के उत्पाद बेचकर न केवल आय में वृद्धि होती है, बल्कि किसानों को एक स्थायी बिजनेस मॉडल भी मिलता है।
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